*)* गुरूवार को सुबह से ही उमस और पसीना से निढाल जीव-जगत के सामने बचाव का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। प्रतिकूल हुई पुरवा हवा के बीच अधिकतम 40 डिग्री तापमान से घर की छत और दीवार तपने लगी। भीतर तपन की आंच तो बाहर त्वचा को जला देने वाले मौसम से जनमानस आकुल-व्याकुल नजर आया। आंच की ताप का प्रभाव यह था कि वाहन में बैठे यात्री गर्मी के प्रभाव से उबले नजर आए। सबके लिए परेशानी का कारण बन चुके मौसम का कहर सोमवार को भी जारी रहा। अधिकतम 40 व न्यूनतम 28 डिग्री सेल्सियस तापमान व 34 प्रतिशत आर्द्रता के बीच छह किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा दिन भर कहर ढाती रही।
दूसरी ओर पसीने से तरबतर बदन के बीच दिनचर्या के कार्यों में लगे लोगों के लिए भी यह हवा अब डरावनी हो चली है। इस मौसम में पशु-पक्षी अकुलाए तो जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सुबह 10 बजते-बजते बदन जलाने वाली हवा से लोग बुरी तरह बेहाल रहे। दोपहर में सड़कों पर आवागमन कम होने के साथ ही बाजारों में सन्नाटा देखा गया। गर्मी का प्रभाव जीव-जंतुओं से लेकर पेड़-पौधों पर दिखाई दे रहा है। दिन चढ़ने के साथ ही धूप का रुप भी बदलने लगा। दोपहर होते-होते बाहर निकलते ही चेहरा झुलस जा रहा था। आग उगलते आसमान और पसीने से तर बतर शरीर के बीच लोग बेचैनी में बाहर-भीतर टहलते नजर आए। पछुआ का कोप सहने वाले लोग हवा के बहाव में अचानक हुए बदलाव से परेशान हो उठे। उमस और पसीना में वृद्धि होने के साथ बेचैनी बढ़ गई। दोपहर बाद तीखी धूप बीच बदन जलाती रही। अपने रूप का प्रभाव दिखा रही धूप और बदला मौसम लोगों के लिए कष्टकारी बन गया है जहां पंखे से निकलती गरम हवा से ओर परेशानी बन गया है गर्मी से बचने के लिए राजासारे में एकमात्र सहारा वरगद का पेड़ की छाया है।जहां ठंडी ठंडी हवा मिलते है।