श्रम, साधना और शिक्षा के बिना मानव विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती हैं।

मधेपुरा(मोहम्मद अनसार आलम): श्रम, साधना और शिक्षा के बिना मानव विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती हैं। जीवन की जितनी भी मूलभूत समस्यायें हैं, सभी का समाधान श्रम, साधना और शिक्षा में समाहित है.उक्त बाते जीवन ज्योति केन्द्र पूर्णियां से आये संत आचार्य धर्म स्वरूप साहब ने चौसा प्रखंड अंतर्गत चौसा पूर्वी पंचायत के जुड़ीमूंजी टोला में घनश्याम दास के द्वारा आयोजित एक दिवसीय कबीर विचार सत्संग समारोह को संबोधित करते हुए।उन्हौंने बताया कि समाज से ऊंच नीच, जात पात, भेद भाव आदि मिटाना संत कबीर का मुख्य उद्येश्य है।उन्हौने यह भी कहा कि संत कबीर की जयंती को सफाई अभियान के तहत मनाने आग्रह धर्मावलम्बियों से किया। कार्य क्रम में मिथिलेश बाबा एवं शिवपूजन बाबा ने स्वागत गान एवं कई भजन प्रस्तुत किये।सत्संग समारोह में वशिष्ठ बाबा, मदन बाबा, प्रमोद बाबा, जयप्रकाश दास ने अपने अपने विचार व्यक्त कर मानवीय राह पर चलने को प्रेरित किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक सुबोध सौरभ ने किया। मौके पर
नागेश्वर दास, सुधा दासिन, अरुला दासिन, तारनी बाबा, नवल किशोर दास, बाल किशोर दास, अमर कुमार, डा धनंजय कुमार, सुरेन्द्र यादव, पवन कुमार यादव, देवेंद्र यादव, संजीव यादव, भोला दास, सुमित्रा दासिन,
आदि ग्रामीण लोग मौजूद थे

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