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व्यवहार न्यायालय खगड़िया में जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा  जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय नशा विमुक्ति दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित, नशा मुक्ति के संबंध में वक्ताओं ने किए विचार प्रस्तुत

व्यवहार न्यायालय खगड़िया में जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा  जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय नशा विमुक्ति दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित, नशा मुक्ति के संबंध में वक्ताओं ने किए विचार प्रस्तुत*

पत्रकार नगर, खगडिय़ा(आर आर वर्मा).।आज दिनांक 26.06.22 को जिला विधिक सेवा प्राधिकार, खगड़िया द्वारा खगड़िया व्यवहार न्यायालय में अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर जागरूकता वर्धित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, खगड़िया श्री कुमुद रंजन सिंह, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, खगड़िया श्री आदित्य सुमन, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय श्री रंजीत कुमार, उत्पाद अधीक्षक श्री विकेश कुमार एवं अन्य न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया.इस कार्यक्रम में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, खगड़िया श्री आदित्य सुमन, न्यायिक पदाधिकारीगण एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रभारी सिस्टम पदाधिकारी श्री कर्मशील कुमार, कोर्ट मैनेजर श्री विपिन कुमार सहित सभी संबंधित सभी पीएलवी, पैनल अधिवक्ता एवं अन्य लोग उपस्थित थे। शुभारम्भ के बाद माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि आज का सेमिनार इस विषय पर आयोजित है कि नशा को कैसे आम जनता के जीवन से दूर किया जाए। पूरे देश एवं विदेश में आज यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। लोगों को नशे की लत से दूर रखना है सरकार भी नशे पर रोक लगा रही है। सीरियल और सिनेमा में भी अब नशे से संबंधित दृश्यों को नहीं दिखाया जा रहा है या चेतावनी के साथ दिखाया जा रहा है। ‌शराब, सिगरेट, भांग, गांजा, चरस, अफीम, स्मैक, कोकिन इत्यादि का सेवन नशे के रूप में किया जा रहा है। ‌नशाखोरी के अत्यधिक दुष्परिणाम हैं। लिवर, किडनी, अंतड़ियां तो खराब हो ही रही हैं, शरीर भी बेकार हो जा रहा है। नशाखोरी के गिरफ्त में फसा युवा बीमार एवं जीवन में असफल सिद्ध हो रहे हैं जो इसके चंगुल में फंसा वह आसानी से मुक्त नहीं हो सकता है। मृत्यु की ओर ले जा रहा है एवं अनावश्यक खर्च को बढ़ाता है इलाज में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं फिर भी बचने की गारंटी नहीं है। हम सबको सभ्य समाज के निर्माण के लिए नशा के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलानी होगी एवं इससे पीड़ित लोगों को इसके चंगुल से बाहर निकालना होगा।इस अवसर पर पुलिस उपाधीक्षक, मुख्यालय श्री रंजीत कुमार ने कहा कि समाज जागरूक होगा, तभी नशापान को रोका जा सकता है। सरकार इसको रोकने के लिए प्रयास कर रही है, लेकिन लोगों के सहयोग के बिना इसमें सफलता नहीं मिल सकती है।उत्पाद अधीक्षक श्री विकेश कुमार ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि नशा पीड़ित व्यक्ति के शरीर को हानि, सामाजिक प्रतिष्ठा को क्षति और कानूनी नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए समाज में जागरूकता बने एवं व्यक्ति अपने स्तर से नशा छोड़ने को उन्मुख हो। सामाजिक ताने-बाने में नशेड़ी व्यक्ति को महत्व नहीं मिलता है।जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री आनंद प्रकाश ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सेमिनार में उपस्थित सभी व्यक्ति यह प्रण लें कि वह अपने आसपास के नशे के लती व्यक्तियों को नशा से मुक्ति के लिए समझाएंगे। हम नशा से तनाव एवं समस्याओं को दूर नहीं कर सकते हैं बल्कि इसके लिए हमें मेहनत करनी होगी और वांछित सफलता प्राप्त करनी होगी। नशा दुख-दर्द को दूर करने की दवाई नहीं है, बल्कि इससे तनाव ही पैदा होता है।उपाधीक्षक, सदर अस्पताल डॉ वाईएस प्रयासी ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि नशा के दुष्परिणाम घातक होते हैं एवं नशा मुक्ति के लिए पीड़ित व्यक्ति के मन को मजबूत होना चाहिए और उसमें आत्मविश्वास के साथ मजबूत इरादे भी होने चाहिए। घर के सदस्यों को भी नशा मुक्ति के लिए पीड़ित व्यक्ति को सपोर्ट करना चाहिए। नशा मुक्ति के लिए काउंसलिंग की आवश्यकता है।इस अवसर पर डॉक्टर गुल सनोवर ने कहा कि समाज में नशा करने वालों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। नशा भी एक प्रकार की बीमारी है और इसको भी इलाज से ठीक किया जाता है। जब तक पीड़ित व्यक्ति खुद दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं दिखलाता, डॉक्टर भी नशे की लत नहीं छुड़ा सकते हैं, वे नशे की तलब को कम करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन मरीज में मजबूत इच्छाशक्ति होने चाहिए।इस कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं को अन्य न्यायिक पदाधिकारियों, बाल संरक्षण पदाधिकारी, अधीक्षक, बाल सुधार गृह ने भी संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि नशा एक व्यसन के रूप में लोगों में समाता जा रहा है, जो व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1987 में इसको संज्ञान में लिया था। नशा को रोकने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का होना जरूरी है, केवल कानून की मदद से नशा मुक्ति नहीं हो सकती है।कार्यक्रम का समापन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री आदित्य सुमन ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए किया। ‌उन्होंने बताया कि देश में नशा को लेकर युवाओं में स्टेटस सिंबल का माहौल बनता जा रहा है। इससे युवाओं का भविष्य चौपट हो रहा है। लगभग 10% युवा नशे के शिकार हैं हर साल लाखों लोग अपनी जान इसकी वजह से गंवा रहे हैं। आज का कार्यक्रम राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार आयोजित किया गया है। ‌ कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकतम रिकवरी का प्रयास, नशा मुक्ति के लिए माहौल बनाना, युवाओं एवं बच्चों को इस समस्या से दूर करने हेतु जागरूकता विस्तारित करना है। 2020 में नशा मुक्त भारत बनाने का संकल्प लिया गया। हम सबको नशा मुक्त भारत बनाने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना है।अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस के अवसर पर जिले में पुलिस विभाग द्वारा भी जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। ‌नशा मुक्ति के संबंध में जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। विद्यालयों में भी इस पर स्लोगन एवं निबंध लिखने का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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