मानसरोवर में होगा मुख्य कार्यक्रम, बिड़ला सभागार में करेंगे बुद्धिजीवियों को संबोधित

युग ऋषि का संदेश लेकर 18 को जयपुर आएंगे डॉ. पंड्या
जयपुर राजस्थान(जे पी शर्मा): वातावरण में छाई हुई असुरता को समाप्त कर धरती पर स्वर्गीय वातावरण के अवतरण के लिए कठोर तप कर अपना जीवन इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए समर्पित करने वाले गायत्री परिवार के सूत्रधार वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा के विचार क्रांति अभियान का संदेश लेकर देव संस्कृति विश्व विद्यालय के प्रति कुलपति तथा ओजस्वी प्रखर वक्ता डॉ. चिन्मय पंड्या 18 सितंबर को जयपुर आ रहे हैं। जयपुर में उनके दो कार्यक्रम होंगे। इसकी तैयारियां जोरशोर से चल रही है।
डॉ. चिन्मय पंड्या का मुख्य कार्यक्रम मानसरोवर के मध्यम मार्ग गायत्री चौराहा स्थित वेदना निवारण केन्द्र पर सुबह ग्यारह से दोपहर एक बजे तक होगा। इससे पूर्व युग संगीत होगा। गायत्री परिवार के उद्गाता बंधु और बहिने प्रज्ञागीतों की स्वर लहरियां बिखेरेंगी। इसके बाद वे गायत्री परिजनों को अखंड दीप और वंदनीया माताजी के जन्म शताब्दी-2026 के उपलक्ष्य में गायत्री परिजनों को भावी कार्यक्रमों के लिए संकल्पित करवाएंगे।
डॉ. चिन्मय पंडया 18 सितंबर को अपराह्न साढ़े तीन बजे बिड़ला ऑडिटोरिमय में मानव जीवन: वरदान या अभिशाप पर बुद्धिजीवियों को संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में व्यापारिक, शैक्षणिक, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा पुलिस और प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, प्रोफेसर, वैज्ञानिक सहित बुद्धिवीवी शामिल होंगे। इस आयोजन के लिए भी एक समिति गठित की गई है।

तैयारियों के लिए कमेटी गठित:
आयोजन की तैयारियों को लेकर वेदना निवारण केन्द्र में बैठक आयोजित की गई। गायत्री परिवार राजस्थान के प्रभारी ओमप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद गायत्री परिवार का यह सबसे बड़ा आयोजन है। डॉ. चिन्मय पंड्या के प्रेरक उद्बोधन का अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले इसके लिए घर-घर जाकर पीले चावल देकर आमंत्रित करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। जल्दी ही अन्य प्रचारात्मक कार्यक्रम किए जाएंगे।
सफल आयोजन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। बैठक में शांतिकुंज प्रतिनिधि आर डी गुप्ता, उपजोन समन्वयक सुशील कुमार शर्मा, गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक रणवीर सिंह चौधरी, संगठन प्रभारी डॉ. प्रशांत भारद्वाज मंचस्थ थे।

अंतराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया देश का गौरव:
डॉ. चिन्मय पंड्या पेशे से डॉक्टर होते हुए भी नैष्ठिक साधक, ओजस्वी प्रखर वक्ता है एवं अध्यात्म के वैज्ञानिक प्रतिपादन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने लंदन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर ब्रिटेन में डॉक्टर के रूप में सेवाएं दी है। 2010 से लगातार शांतिकुंज हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रति कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है। वे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की कई नामी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे है।
वत्र्तमान में डॉ. पंड्या अध्यात्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नोबेल पुरस्कार के समकक्ष टेम्पल्टन पुरस्कार की ज्यूरी के सदस्य भी है। संयुक्त राष्ट्र संगठन यूएनओ द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक के साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन के परिषद् सदस्य जैसे महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं। डॉ पंड्या यूनेस्को के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। इस सम्मेलन के बाद ही योग को वैश्विक धरोहर का दर्जा मिला। वियना में हुए संयुक्त राष्ट्र धर्म सम्मेलन में डॉ. पंड्या ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके वक्तव्य से प्रभावित होकर पाकिस्तानी धर्म गुरुओं ने उन्हें पाकिस्तान आने का न्यौता दिया।

Latest articles

Related articles

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

बड़ी खबरें :