डा.के.के.चौधरी’वियोगी’,पूर्णिया
महफिलें अब सजा लीजिये,
नेह की हर सदा लीजिये
*”आज मौसम कहर ढा रहा!*
*आइये सब मजा लीजिये!2!*
*”आप जो भी करें सब भला!*
*कम से कम तो रजा लीजिए!3!*
*”जां मिरी ये बनी दिल-रुबा!*
*बस सहज ही दुआ लीजिये।4।*
*”आप क्यूँ अब हैं मुझसे खफा?*
*अब गले से लगा लीजिये ।5।*
*”ठीक उसने कहा था मुझे!*
*दोस’ती में कजा लीजिये !6!*
*”लाख शिकवे मगर हम सखा!*
*”मीत” अपना बना लीजिये!7!*