जिले में बढ़ रहे अपराधिक घटनाएं सुशासन की पोल खोल दी, बिगड़ गई है जिले की विधि व्यवस्था
शांति समिति के बैठक में उठती रही सवाल, नहीं चेते प्रशासन
खगड़िया : एक ही तिथि को तीन तीन हत्याकांड का अंजाम विभिन्न जगहों पर देना सुशासन एवं विधि व्यवस्था का पोल खोल दी है। अपराधी गुंडा शराब माफिया स्मैकर्स झपटमार गिरोह खुलेआम घूम रहे हैं। प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है । पुलिस अधीक्षक धृतराष्ट्र बने हुए हैं।
उक्त बातें मिशन सुरक्षा परिषद के राष्ट्रीय सचिव सह बिहार प्रभारी सह फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव ने कही।
श्री यादव ने कहा कि सुशासन की सरकार एवं जिला प्रशासन विधि व्यवस्था एवं सुशासन के नाम पर अपने हाथों से अपनी पीठ थपथपाते है लेकिन सच्चाई कुछ और बयां जिला सहित पूरे राज्य में कर रही है।
श्री यादव ने कहा कि एक ही दिन में तीन तीन जगह घटनाओं का अंजाम अमनी में सरपंच रतन कुमार राम पर अंधाधुंध फायरिंग, चातर बांध के पैक्स अध्यक्ष चंदन यादव एवं बेला सिमरी में चमराही के एक दुहाब को अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। 24 घंटा से अधिक घटना को अंजाम दिए हो चुका है लेकिन एक भी अपराधी पुलिस के गिरफ्त में नहीं आ सकी है, इससे साफ जाहिर है कि सुशासन की सरकार में कुशासन की सरकार चल रही है।
श्री यादव ने कहा कि लगातार शांति समिति के बैठक में पंच सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष किरण देव यादव, पूर्व उप मुखिया गुड्डू ठाकुर सहित कई अन्य शांति समिति के सदस्यों ने खगड़िया अलौली पथ पर लचका के निकट पुलिस कैंप की व्यवस्था करने, गस्ती करने की मांग करते रहे हैं। किंतु प्रशासन को सिर्फ शांति समिति बैठक का कोरम पूरा करना मात्र उदेश्य रहता है। क्या ऐसी स्थिति में शांति व्यवस्था सिर्फ पर्व त्योहार में ही कायम करने की जरूरत है या फिर अन्य दिन भी। यह एक यक्ष प्रश्न सुलगता हुआ सवाल जिला प्रशासन के सामने खड़ी है।
श्री यादव ने कहा कि एक दर्जन से अधिक जिला मुख्यालय में राहजनी की घटना का अंजाम झपटमार गिरोह ने दिया है । पूरे जिला में शराब माफिया स्मैकर्स अपराधी गुंडा झपटमार गिरोह की गतिविधियां चरम पर है तथा पुलिस की गतिविधियां नगण्य है।
समाजसेवियों ने जिला प्रशासन और बिहार सरकार तथा डीजीपी से मांग किया है कि खगड़िया जिला के पुलिस व विधि व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए, तभी सच्चे अर्थों में अपराध पर अंकुश लग पाएगा। अन्यथा आक्रोशित आमजन सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होगी, जिसका खामियाजा सरकार और प्रशासन को भुगतना पड़ेगा।