खगड़िया। आधुनिक युग में नई पीढ़ी के लोगों को हर हाल में बुजुर्गों की देखभाल करते हुए उन्हें सम्मान देते रहना चाहिए, समय समय पर दुःख सुख की चर्चा करनी चाहिए, उनके वर्षों के अनुभवों से सीख लेनी चाहिए, उनके मार्गदर्शन पर अवश्य चलना चाहिए। हर घर में एक बुजुर्ग का होना बहुत जरुरी है क्योंकि पारिवारिक नोंक झोंक, मनमुटाव होने पर बुजर्ग ही बीच बचाव का कार्य करेंगे, परिवार के दोनों सदस्यों को आपस में मेल मिलाप कराएंगे। उक्त बातें, बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ अरविन्द वर्मा (वरिष्ठ नागरिक) ने विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस के अवसर पर मीडिया से खास बातचीत में कही। आगे उन्होंने कहा हर साल 15 जून को भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में “विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस” मनाया जाता है। बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली एक संस्था ने विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस पर राष्ट्रीय रिपोर्ट ‘ब्रिज द गैप -अंडर स्टैंडिंग एल्डर निड्स’ जारी की। संस्था की तरफ से पिछले 8 सालों से यह सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वे में बुजुर्गों पर हो रहे अत्याचार और तकलीफों पर गौर किया जाता है। पिछले दो सालों से महामारी के कारण सभी ने बुरे दिन देखे हैं हालांकि अब महामारी का प्रभाव इतना नही हैं। लोग अपनी जिंदगी में व्यस्त हैं। इस बीच बुजुर्गों की क्या अवस्था है यह जानने के लिए एक संस्था ने 22 शहरों में सर्वे किया। जहां एक शहर में 200 बुजुर्ग और उनके 100 केयरटेकर का इंटरव्यू किया गया। डॉ वर्मा ने कहा सर्वे के दौरान कई बुजुर्गो केअनुसार उनके परिवार वाले उनको समय नहीं देते हैं जिसके चलते वह मायूसी से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। वहीं, इसमें सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि यह 67% बुजुर्गों का हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है। 40% बुजुर्गों का कहना है कि उनको काम करने की इच्छा है लेकिन उनको किसी का समर्थन नहीं हैं। बुजुर्गों के साथ होने वाली घरेलू हिंसा की बात करें तो 10% बुजुर्गों ने सच्चाई बताते हुए कहा कि वो घरेलू हिंसा के शिकार हैं। इस हिंसा में सबसे ज्यादा नाम रिश्तेदारों के सामने आए। उसके बाद बेटों के और फिर बहुओं के। बुजुर्गों ने बताया कि उनके साथ बदसलूकी की जाती है और उनको नजर अंदाज किया जाता है। 34 प्रतिशत बुजुर्गों को स्मार्टफोन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आगे डॉ वर्मा ने कहा एक संस्था की रिपोर्ट अनुसार भारत के 22 शहरों में 4399 बुजुर्गों से बात की गई। रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर 47% बुजुर्ग आय के स्त्रोत के लिए परिवार पर निर्भर हैं। जबकि 34% पेंशन और नकद हस्तांतरण पर निर्भर हैं। 72% बुजुर्ग परिवार पर निर्भर है जबकि 16% पेंशन और नकद हस्तांतरण पर निर्भर है। राष्ट्रीय स्तर पर 71% बुजुर्ग काम नहीं कर रहे हैं। 36% बुजुर्ग काम करने के इच्छुक हैं और उनमें 40% जब तक संभव हो तब तक काम करना चाहते हैं। 61% बुजुर्गों को लगता है की बुजुर्गों के लिए पर्याप्त और सुलभ रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं है। 79% बुजुर्ग काम नहीं कर रहे हैं हालांकि 37.5% का कहना है कि उनके पास रोजगार के अवसर नहीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 30% बुजुर्ग स्वयंसेवा और समाज में योगदान करने के इच्छुक हैं। 24% बुजुर्ग वॉलंटियर के रूप में समाज में योगदान देने के इच्छुक हैं लेकिन अब तक केवल 12% वर्तमान में स्वयंसेवा के कामों में शामिल हैं। 45% बुजुर्गों ने वर्क फ्रॉम होम का समर्थन किया। डॉ वर्मा ने कहा काम करने वाले बुजुर्गों को अधिक सम्मान दिया जाना चाहिए, सेवा निवृत्ति आयु में वृद्धि हो और बुजुर्गों के लिए विशेष नौकरी की व्यवस्था की जाय। 41% देखभाल करने वाले केयर टेकर जिसमें उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। वहीं 24% बुजुर्गों का मानना है के वर्क फ्रॉम होम उनके लिए सबसे अच्छा है। राष्ट्रीय स्तर पर 47% बुजुर्गों ने कहा कि उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार के चलते उन्होंने परिवार से बात करना बंद कर दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर 58% बुजुर्गों ने कहा कि परिवार के सदस्यों के लिए परामर्श की आवश्यकता है। जबकि 56% बुजुर्गो ने दुर्व्यवहार से निपटने के लिए कहा समयबद्ध निर्णय और नीतिगत स्तर पर उम्र के अनुकूल प्रतिक्रिया प्रणाली स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। 46% बुजुर्गों को किसी भी दुर्व्यवहार निवारण तंत्र की जानकारी नहीं है। डॉ वर्मा ने कहा केवल 13% बुजुर्गों को ही माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के बारे में जानकारी है। आज, आवश्यकता है बुजुर्गों को जागरुक करने की। डॉ वर्मा ने कहा आवश्यकता पड़ी तो बिहारी पॉवर ऑफ इंडिया के बैनर तले जगह जगह बुजुर्ग जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया जायेगा।
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