बांका : बैसाख की आग बरसाती गर्मी और चांदन नदी में कलकल बह रही जलधारा। बांका के लोगों के लिए यह दृश्य डेढ़-दो दशक बाद अचंभित करने वाला है। तापमान 44 डिग्री सेल्सियस पहुंचने के बाद भी अबकी चांदन की धारा नहीं सूखी। अलबत्ता, बैसाख में बारिश हो जाने से नदी की धारा को अब सहारा ही मिल गया है। चांदन-कटोरिया में चार दिन पहले की अच्छी बारिश से नदी में बढि़या पानी आ गया है।
दरअसल, 2008 से ही चांदन नदी फाल्गुन-चैत में ही सूख जाती थी। कई बार तो छठ पूजा करने के लिए चांदन नदी में डैम से पानी छोड़ना पड़ा है। नदी सूख जाने से आमलोगों के साथ पशुओं के पानी पर भी संकट आ जाता है। नदी किनारे वाले गांवों का भू जलस्तर तेजी से नीचे सरक जाता है। मगर इस बार चांदन नहीं सूखी तो पेयजल संकट भी अधिक पीड़ा देने वाली नहीं रही। जानकारी के अनुसार चांदन नदी की धारा 2008 में पहली बार पूरी तरह सूख गई थी। नदी में केवल बालू का ढेर था। इसके बाद से चांदन नदी हर बार गर्मी में सूखती रही। बालू उठ जाने के बाद स्थिति और खराब हो गई। होली के बाद ही नदी सूख जाती थी और पानी केवल बालू उड़ाली वाले गड्ढों में ही दिखती रही। पहाड़ी नदी बस बरसात में ही कहर दिखाकर सिमट जाती थी। लेकिन इस बार नदी का दृश्य लोगों को सुकून दे रहा है
चांदन ही नहीं इस बार गर्मी के मौसम में कुरार, ओढ़नी, रामपुर आदि नदियों में भी पानी की धारा है। इसकी एक वजह अंतिम समय में अधिक बारिश हो जाना है। इस कारण सभी ताल-तलैया में पानी जमा रह गया। इससे भू जल स्तर भी मेंटेन रह गया। एक दिन पहले की मापी में चांदन नदी में अभी 55 फीट पानी जमा है। इस समय डैम में 480 फीट पर पानी दिख रहा है। यह डैम 500 फीट पर स्पील करता है। ओढ़नी और बदुआ डैम में भी 25-30 फीट तक पानी जमा है। डैम से पानी रिसकर भी नदी में बह रही है।