बांका बाराहाट(दिलावर अंसारी): मिश्र एवं अफ्रीका की तर्ज पर बाराहाट प्रखंड के तिनफेड़िया गांव में कैमोमाइल फूल की खेती हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस फूल के सेवन से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें एंटी आक्सिडेंट तत्व रहने से कई तरह की बीमारियों में कवच का काम करता है। इसके सेवन से हृदय रोग से लेकर कैंसर तक से मुक्ति मिल सकती है। इसमें खासकर हाइपरग्लिकेमिया, पेट की गड़बड़ी, मोटापा की समस्या और घबराहट की बीमारी दूर करने के साथ ही कोलेस्ट्राल को भी नियंत्रित करने में कारगर है।
यहां इसकी खेती की शुरुआत दिसंबर 2021 में ललन झा ने सात हजार की लागत से 10 कट्ठे में की थी। अब तक वे 70 किलोग्राम फूल की बिक्री तीन सौ रुपये प्रति किलोग्राम से कर चुके हैं। उन्हें कैमोमाइल फूल की खेती की प्रेरणा इंटरनेट मीडिया से मिली थी। जिसका बीज उन्होंने लखनऊ से मंगाया था। बताया कि बंजर भूमि में कैमोमाइल फूल की बेहतर खेती की जा सकती है। इसकी उपज दर प्रति कट्ठा दस किलो से भी अधिक है। लखनऊ व गुवाहाटी से व्यापारी फूल खरीदने आते हैं। वे एक बार में 50 किलो से अधिक फूल की उपज करते हैं। फूल से टी लीव के अलावा उसके तेल से पर्फ्यूम भी तैयार होती है। इसके तेल की कीमत बाजार में 30 से 40 हजार रुपये किलो है। किसान ललन ने बताया कि उससे प्रेरणा लेकर कई युवा किसान प्रभावित होकर खेती करने की योजना बना रहे हैं।
कैमोमाइल फूल व उसके तेल के सेवन से इम्युनिटी पावर बढ़ती है। इसका औषधीय गुण तनाव व एनजाइटी से भी निजात दिलाता है। कोरोना काल में इस तरह की बीमारी काफी बढ़ गई है। इसके फूल से तैयार चाय के सेवन से कई तरह की बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है। अभी बाजार में इसकी हर्बल चाय भी उपलब्ध है। इसकी मांग हौम्योयोपैथ व आयुर्वेद में अधिक है।
डा. दिनेश कुमार, आयुष चिकित्सक, बाराहाट