Homeहरियाणापाईट में होगा टॉयकाथोन, दिन-रात खिलौने बनेंगे.jna.लोकेश झा

पाईट में होगा टॉयकाथोन, दिन-रात खिलौने बनेंगे.jna.लोकेश झा

पाईट में होगा टॉयकाथोन, दिन-रात खिलौने बनेंगे

लोकेश झा

समालखा – आजादी का अमृत महोत्‍सव के तहत पानीपत इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नॉलोजी (पाईट) कॉलेज में 23 से 26 मई तक टॉयकाथोन का आयोजन किया जा रहा है।

भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्‍नीकल एजुकेशन (एआइसीटीई) के तत्‍वावधान में होने जा रहे टॉयकाथोन में देशभर के अलग-अलग राज्‍यों से छात्र यहां खिलौने बनाएंगे। 45 टीमें पहुंच रही हैं। 24 मई से लगातार 36 घंटे तक टीमें अपना खिलौना बनाएंगी। विजेता टीमों को पुरस्‍कृत किया जाएगा। पाईट कालेज में प्रेस वार्ता में वाइस चेयरमैन राकेश तायल और कालेज निदेशक डॉ.शक्ति कुमार ने टॉयकाथोन के बारे में विस्‍तार से बताया।
राकेश तायल ने कहा कि भारत में 12 हजार करोड़ का खिलौनों का कारोबार है। यहां पर 80 फीसद से अधिक आयात है। हम अपने बच्‍चों को खिलौने दिलाने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हैं। भारत, जिसने शतरंज जैसे खेलों का इजाद किया। उसी देश में खिलौना इंडस्‍ट्री दम तोड़ रही है। भारत सरकार के मेक इन इंडिया मिशन के तहत टॉयकाथोन किया जा रहा है। प्रत्‍येक टीम को सुविधा उपलब्‍ध कराई जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से 40 लाख 70 हजार रुपये का बजट भी दिया जा रहा है। जिसका प्रोजेक्‍ट चयन किया जाएगा, उस पर स्‍टार्टअप शुरू किया जा सकता है।

सरकार के साथ ही पाईट भी उसमें मदद करने के लिए तैयार है। यहां पर आइडिया लैब में यूनिक आइडिया पर काम किया जा सकता है, जिसका कोई शुल्‍क नहीं है। निदेशक डा.शक्ति कुमार ने कहा कि देश के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। उनकी रचनात्‍मकता सभी के सामने आए, खिलौना इंडस्‍ट्री में आगे बढ़ सकें, इसके लिए यह आयोजन हो रहा है। मेंबर बीओजी शुभम तायल ने कहा कि दूसरे स्‍कूलों के छात्र, उनके शिक्षक यहां तक की प्रिंसिपल यहां आकर टॉयकाथोन को देख सकते हैं। अपने आइडिया साझा कर सकते हैं। बच्‍चे जो यहां बनाएंगे, उनको देखकर सीखा जा सकता है। इस अवसर पर स्‍टूडेंट वेलफेयर डीन डॉ.बीबी शर्मा, पीआरओ ओपी रनौलिया, तरुण मिगलानी मौजूद रहे।

*टॉयकाथोन का उद्देश्य*
इस आयोजन के माध्‍यम से ऐसे मॉडल सामने लाना है, जिन्‍हें बाजार में बेचा जा सके। भारत के खिलौना कारोबार को बढ़ाया जा सके। पहले तो आयात को खत्‍म करना है। इसके बाद निर्यात पर फोकस करना है। जब तक नए विचार, नए उत्‍पाद सामने नहीं आएंगे, तब तक उन पर काम नहीं हो सकेगा। कीमत सस्‍ती नहीं हो सकेगी। टॉयकाथोन के माध्‍यम से बनने वाले खिलौनों पर काम होगा। इनकी इंडस्‍ट्री लगाने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।

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