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डॉक्टर संजीव कुमारी की चौथी पुस्तक जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला

समालखा(लोकेश झा):  सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का प्रमुख ध्येय बना चुकी प्रसिद्ध लेखिका डॉक्टर संजीव कुमारी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्थापित फड़ को लिपिबद्ध करने का साहसिक, सार्थक प्रयास किया है। लक्ष्मण अवतार श्री पाबूजी महाराज के अवतरण काल का चित्रित रूप फड़ पर लिखित पुस्तक पाबूजी की फड़ को विशिष्टताओं के कारण इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस ने रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया है।विदित हो कि पाबूजी की फड़ एक कपड़े पर बनाई गई लक्ष्मण जी के अवतार पाबूजी की महागाथा है, जो मुख्यतः राजस्थान में गाई जाती है। राजस्थान में भोपे फड़ पर बने चित्रों को देखकर गीत गाते हैं। जिसे राजस्थानी भाषा में ‘फड़ का बाचना’ कहा जाता है। भारत के राज्यों में उनकी मान्यताओं को मानने वालों की अपार संख्या है।इस विशेष पुस्तक को प्रसिद्ध लेखिका डॉक्टर संजीव कुमारी ने फड़ वाचक भोपा लिछाराम नायक के सहयोग से कठिन परिश्रम के बाद प्रथम बार लिपिबद्ध किया है। यह अपने आप में एक विशेष उपलब्धि है,अभी तक फड़ किसी पुस्तक के रूप में वर्णित नहीं थीं। उनके प्रथम प्रयास को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने रिकॉर्ड के रूप में दर्ज कर, उन्हें विशेष सम्मान देने का काम किया है।पाबूजी महाराज की मान्यताओं को सांस्कृतिक विरासत के रूप में सहेजने का बड़ा काम भी किया है। उन्होंने अस्तित्व से जूझती फड़ को संरक्षित करते हुए भगवान पाबूजी के उपासकों को एक अनमोल उपहार भेंट किया है। जिससे करोड़ो उपासकों में अपार प्रसन्नता की लहर है। इससे पूर्व भी डॉ संजीव कुमारी की झड़ते पत्ते, विष्णु अवतार:श्री देवनारायण व श्री देवनारायण फड़ कथा पुस्तकें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान बना चुकी है। उनकी इस विशेष उपलब्धि से चहुं ओर हर्ष की लहर है।

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