खगड़िया सदर :जिला पदाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष ने परबत्ता प्रखंड में कृषि विभाग एवं जीविका की विभिन्न योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण किया उनकी समस्याओं को सुना और सरकार के स्तर से यथोचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
जीविका मधुमक्खी पालन लाभुकों से मुलाकात एवं उनके कार्यों का निरीक्षण जिलाधिकारी ने महेशलेट मोड़ के पास जीविका समूह के मधुमक्खी पालन करने वाले शहद उत्पादक लाभुकों से मुलाकात की एवं उनके कार्यों का गहराई से अवलोकन किया।
उन्होंने मधुमक्खी पालन हेतु रखे गए बॉक्स से शहद के उत्पादन के तरीके को देखा और समझा। जीविका समूह के मधुमक्खी पालक सिकंदर कुमार ने रानी मधुमक्खी की पहचान भी जिलाधिकारी को कराई। उन्होंने बताया कि एक बॉक्स में एक ही रानी मधुमक्खी होती है। जिलाधिकारी ने जीविका समूह के सहद उत्पादकों के साथ फोटो खिंचवा कर उनका उत्साहवर्द्धन भी किया।उन्होंने मधुमक्खी पालन में क्या मदद चाहिए, इसके संबंध में भी शहद उत्पादकों से जानकारी ली। कृषि विज्ञान केंद्र एवं कृषि विभाग द्वारा भी मधुमक्खी पालन हेतु प्रशिक्षण दिया जाता है और आवश्यक बॉक्स उपलब्ध कराए जाते हैं। जीविका समूह द्वारा शहद प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की मांग जिलाधिकारी के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि लीची, सहजन, सरसों सहित विभिन्न सहज का उत्पादन उनके द्वारा किया जाता है।
जिलाधिकारी ने परामर्श दिया कि शहद उत्पादन हेतु समूह का विस्तार करते हुए अधिक उत्पादन करें ताकि थोक क्रेताओं के साथ मोलभाव की क्षमता बढ़ जाए। उत्पादक शहद को विक्रेताओं को सीधा बेचें।
उन्होंने परबत्ता में शहद प्रोसेसिंग सेंटर के निर्माण के लिए जगह तलाशने का निर्देश दिए।
कुल्हड़िया में संघर्ष जीविका महिला संकुल संघ एवं कस्टमर हायरिंग सेंटर का निरीक्षण
कृषि विभाग द्वारा कृषि कल्याण अभियान अंतर्गत कुल हरिया के संघर्ष जीविका महिला संकुल संघ को 80% अनुदान पर कृषि यंत्र बैंक उपलब्ध कराया गया है। जिलाधिकारी ने संघर्ष जीविका संघ की दीदियों से बातचीत किया और उसके लाभ के बारे में फीडबैक लिया। फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में भी जिलाधिकारी ने पाया कि जीविका दीदी काफी जागरूक हैं। उन्होंने कृषि यंत्रों के भाड़ा के बारे में भी जानकारी ली।संघर्ष जीविका समूह द्वारा पापड़ एवं अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन भी किया जाता है। जिलाधिकारी ने उनसे पूंजी की आवश्यकता के संबंध में जानकारी ली और उनसे बातचीत कर उनका फीडबैक प्राप्त किया। उन्होंने उनकी समस्याएं भी जाननी चाहीं।
जिलाधिकारी ने संघर्ष जीविका संघ की जीविका दीदियों को जानकारी दी कि जीविका के लिए सेल काउंटर बनाया जा रहा है। समाहरणालय में जगह दी जा रही है। प्रयास करेंगे कि हर ब्लॉक में सेल काउंटर बनाया जाए। पैकेजिंग के संबंध में निर्देश दिया कि पैकेजिंग सुधारा जा सकता है, यह कोई बड़ी समस्या नहीं है।
उन्होंने डीपीएम, जीविका श्री अजीत कुमार को जीविका का सेल्स काउंटर खोलने के संबंध में आवश्यक निर्देश दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि जीविका समूहों को सीलर, प्रिंटेड स्टिकर उपलब्ध कराया जाए, जिस पर अंकित रहे कि यह उत्पाद जीविका द्वारा निर्मित है, ताकि इसकी ब्रांडिंग की जा सके। RSETI के ट्रेनर भी उपस्थित थे, जिन्हें जीविका दीदियों को वित्त संबंधी जानकारी देने का निर्देश दिया गया।
जिलाधिकारी ने जीविका समूह की महिलाओं को बताया कि जीविका पर सरकार को पूरा भरोसा है। जीविका जो काम उठाती है, उसको पूरा करके ही मानती है। गरीबी निवारण हेतु यह बिहार सरकार की महत्वकांक्षी पहल है। उन्होंने यह भी कृषि यंत्रों को भाड़े पर देने में कोई भेदभाव नहीं करना है और उचित मूल्य पर यंत्रों को भाड़े पर देना है।
कोलवारा में जैविक खेती का निरीक्षण कोलवारा में जिलाधिकारी ने परवल, पपीता, मंगरेला, बैगन इत्यादि सब्जियों, फलों, मसालों के जैविक खेती का निरीक्षण किया। इस जैविक कॉरिडोर में रासायनिक खादों का प्रयोग ना करके जैविक खादों का प्रयोग किया जाता है, जो पूरी तरह से वातावरण एवं स्वास्थ्य के अनुकूल है। कोलवारा में फलों, सब्जियों और मसालों का व्यवसायिक उत्पादन किया जाता है।
जिलाधिकारी ने किसान बिन्देश्वरी के द्वारा जैविक पद्धति से की गई परवल की खेती का अवलोकन किया एवं जैविक ढंग से उपजाई गई परवल के पहचान के संबंध में जानकारी ली। किसान ने बताया कि परवल के लता को बरसात में काटकर फिर लगा दिया जाता है और उससे पौधे निकल जाते हैं। खेती में जैविक खाद का प्रयोग करने के बाद भी लाभ में कोई कमी नहीं आई है।
जिलाधिकारी ने जैविक पपीता, जैविक मंगरैला, जैविक बैगन की खेती का भी निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि परबत्ता में काफी प्रयोगधर्मी एवं प्रगतिशील किसान हैं, जो खेतों में कड़ी मेहनत भी करते हैं। यहां विविध प्रकार की फसलों का उत्पादन हो रहा है। कृषि विभाग द्वारा जैविक खेती हेतु किसानों को पौधे और बीज भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जैविक खेती में नीम कीटनाशक एवं जैविक खाद का प्रयोग होता है। मंगरैला की खेती में प्रति एकड़ 5-6 क्विंटल मंगरैला का उत्पादन होने की बात जिलाधिकारी को बताई गई। वाल्मीकि नामक किसान ने पपीते की खेती की है। उन्हें ड्रिप इरिगेशन के लिए सब्सिडी सहित उपकरण लगाने की सलाह दी गई, ताकि कम पानी से अधिक सिंचाई हो सके और पौधों को उचित पोषण भी दिया जा सके। जिलाधिकारी जैविक खेती से काफी प्रभावित नजर आए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है।
जिलाधिकारी द्वारा इन योजनाओं के निरीक्षण के समय जिला कृषि पदाधिकारी श्री शैलेश कुमार, डीपीएम, जीविका श्री अजीत कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी, गोगरी श्री अमन कुमार सुमन, सहायक निदेशक, उद्यान मोहम्मद जावेद, सहायक निदेशक, पौध संरक्षण श्री श्याम नंदन कुमार, सहायक निदेशक, अभियंत्रण श्री रजनीश कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, परबत्ता श्री अखिलेश कुमार, अंचलाधिकारी, परबत्ता श्री अंशु प्रसून, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी श्री रंजन दास प्रखंड कृषि पदाधिकारी श्री बुधन महतो सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।