पत्रकार नगर,खगड़िया,(आर आर वर्मा): सर्वदलीय बैठक में बुधवार को बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर लिये गये निर्णय स्वागत योग्य है। इसके माध्यम से गांधी,अम्बेडकर, लोहिया, जयप्रकाश,जगदेव बाबू एवं कर्पूरी के सामाजिक न्याय के सपने को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी सकार करने जा रहे हैं । समतामूलक समाज की स्थापना के लिए नीतीश कुमार जी की यह चिर प्रतीक्षित मांग रही हैl हमारे नेता ने समाजिक एवं आर्थिक स्थिति की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखकर समय-समय पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैंl
मुख्यमंत्री जी ने बिहार में सत्ता की बागडोर संभालते ही विकास की प्रक्रिया में पिछड़ चुकी जातियों जैसे मल्लाह, नोनिया, तांती,तमोली, तेली, गोस्वामी, मलिक व मुस्लिम आदि को विकास की मुख्यधारा में लाने का प्रतिबद्धता के साथ प्रयास किया। राजद जातीय गणना को राजनीतिक एजेंडा बनाकर जदयू द्वारा किये गए प्रयासों का क्रेडिट लेकर राजनीतिक रोटी सेकने का प्रयास कर रही है पर बिहार की जनता उसकी इस प्रवृत्ति से भलीभांति परिचित हैं।
राजद ने यूपीए का महत्वपूर्ण घटक दल होते हुए भी 2011 में कराए गए सामाजिक- आर्थिक एवं जाति जनगणना रिपोर्ट को प्रकाशित कराने का कोई प्रयास नहीं किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार देश का पहला राज्य है, जिसके द्वारा समाज के सबसे नीचले पायदान पर खड़े व्यक्ति के लाभ हेतु अपने संसाधन से जातीय गणना का कार्य पूरा करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है।