जब से चले गए तुम इस जहां से
तब से अन्धेरा फिर डरवाना सा लगने लगा है , लौट कर आ – जाओ फिर तुम–
इक बार -आमजन, मिगलानी परिवार पुकारने लगा है —
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जब जनता सो रही थी तब मिगलानी परिवार जाग रहा था आम तौर पर कहा जाता है कि ग्रामीण इलाके में रहने वाले व्यक्तियो का राजनितिक सफर की एक हद होती है पर ये सब एक भले पुरूष तेजस्वी ईमानदार व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के लिए कोई मुश्किल राह न थी उन्होने जीवन का सफर सर्वप्रथम एक पार्षद का चुनाव जीतकर शुरूआत की उसके बाद सच्ची लग्न मेहनत व दूसरो की सेवा करने की जिज्ञासा उनमे कूट-कूट कर भरी थी जिसकी वजह से वो दो बार गजसिंहपुर में चैयरमैन के पद की भूमिका निभाई , तब पार्टी का दो ही बोलबाला खूब था इन्हे किसी पार्टी की टिकट न मिलने पर ये अपनी तेज छवि के कारण जनता के फरिश्ते कहे जाने वाले मिगलानी श्रीकरणपुर विधानसभा मे निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर इक्कीस हजार मत हांसिल किए, कहां किसमे इतनी हस्ती छुपी है ,उगते सुरज को उगने से रोक सके, आखिर
तब सता पक्ष के पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत मिगलानी की ईमानदारी देखकर कदमो को रोक न सके चलाकर श्रीकरणपुर भाजपा पार्टी की कमान संभालने की बात कही जिस समय मिगलानी ने भाजपा का कवच पहना तब श्रीकरणपुर श्रेत्र पर अच्छे रसूखदार लोगो का दब-दबा खूब बना हुआ था तब ऐसी मुश्किल परिस्थितीयो में पार्टी के जीत पाना बहूत ही टेढ़ी बात थी कहा जाता है कि जिसके हौसलें बुलंद हो उसे क्या रोक पाऐगीं हवाऐ। उन दिनो मिगलानी के दिलो दिमाग मे पब्लिक भक्ति के प्रति जलवा था व उधर भाजपा दवारा सौंपी गई जिम्मेवारी थी , एक बुजुर्ग ने बताया कि वो हमेशा जमीन से जुड़े हुए व्यक्तियो से अत्याधिक मेलजोल रखने मे विश्वास रखते थे वो स्पष्ट कहा करते थे जिसका कोई भी कार्य हो वो सीधे आऐ विचौलोया नही ।
उसकी इसी सादगी का परिणाम हुआ जो वह 1990 में चुनाव जीतकर सीधे राजस्थान सरकार मे राज्य कल्याण मन्त्री पद पर रहे। उसकी यह सफलता कुछ राजनेताओ को रास नही आई मन -मन ही उससे ईर्षा के भाव खाते हुए गिराने की कोशिश मे लगे रहे ,पर आखिर पलो तक भी मिगलानी ने राजनिति अखाड़ा नही छोड़ा वो पूर्व सीएम वसुंधरा द्वारा पंजाबी अकादमी अध्यक्ष पद पर भी रहे आखिरी पलो तक व राजनिति से जुड़े रहे, जीवन के लास्ट दिनो निराश रहे जब उन्हे श्रीकरणपुर विधान सभा से टिकट हांसिल नही हुई तो फिर भाजपा पार्टी को टुटने तक नही दिया हजारो की संख्या में भाजपा की मजबूती छोड़ गए,
पब्लिक से जुड़े रहना अच्छे कार्य करना पद चिन्ह पर चलने के लिए वो अपना पूरा मिगलानी परिवार व उनके बेटे फूल चंद मिगलानी जिनके चर्चे राजस्थान में मशहूर है जिन्होने लगभग 15 साल बाद पदमपुर में कांग्रेस का बोर्ड बनाकर यह सिद्ध कर दिया कि- वो रहे ना रहे पर दिल मे जज्बा हिन्दुस्तानी खून मिगलानी परिवार का है, हां एक उसका अन्य बेटा जो राजनितिक का चाणक्य माना जाता है ,जो पूर्व मे अरोड़वंश का अध्यक्ष भी रह चुका है , बाकि हां बात करते है आज भाजपा की तो इन्ही के पदो से खोखली नजर आ रही है ।
अंधेरी नगरी को उजियारे में लाने वाले स्वर्गीय कुन्दन लाल मिगलानी ऐसे पहले शख्स थे जो नहे रहे हमारे बीच, पर हां ये सब कहना मुमकिन नही है , वास्तविकता यह है कि ऐसे लोग कभी कभी मरते नहीं है, जो दूसरो के हित के लिए कार्य करते हुए
गांव मोड़,शहर रोड़ पर लगे शिलान्यास पर लगी पट्टिका बोलती है, कहां गए वो दिन
कहां खो गए तुम
आज मिगलानी परिवार के बिखरे विचार, कोई इधर कोई उधर
जिधर देखो कुन्दन लाल मिगलानी परिवार को याद कर रहे है लोग उधर –
राजनिति की लहर 1990 मे उस समय कुन्दन लाल मिगलानी स्टार बनकर उभरे जब जनता परेशानीयो
जूझ रही थी अब
ना वो मांझी रहे न वो कश्ती रही
मिट गई वो हस्ती –