गायघाट पुल के नीचे ट्राफीक पोस्ट के पी टी सी सिपाही अजीत कुमार जोगी का तबादला अब तक क्यों नही?
गायघाट पुल के नीचे ट्राफीक पोस्ट बना अवैध उगाही का अड्डा। आप वीडियो के माध्यम से देख सकते है कि अंदर जाकर कैसे सेटिंग वेटिंग होता है।
पटना ब्रेकिंग न्यूज़ सभी बिहार पुलिस ट्रैफिक सिपाही और बिहार होम गार्ड का तबादला किया गया लेकिन पी टी सी सिपाही का तबादला अब तक क्यों नही।
पी टी सी सिपाही अजीत कुमार जोगी वर्षों से एक ही जगह पर जमे रहने के कारण लोकल दबंग क्रिमिनल से सांठगांठ बना बैठे है।और बना चुके है अपना दबदबा। आखिर इनका जिम्मेदार कौन सरकार यह अधिकारी?
पी टी सी सिपाही अजीत कुमार जोगी का तबादला अब तक क्यों नही। आठ घंटे के बजाए करते है बारह घंटा ड्यूटी। क्या इनका पत्र अलग से आला अधिकारी के द्वारा निकाला गया है क्या जो पी टी सी सिपाही अपने मन से कर रहे है बारह घंटा दूत्य। पत्रकारो द्वारा पूछे जाने पर अजीत कुमार जोगी ने आग बबूला होकर कहा कि आप हमारे अधिकारी नही है हमारे अधिकार DSP साहब और एसएसपी ट्राफीक है उनका आदेश होगा तो मैं करूंगा।
मो0 मोख्तार के साथ सुजीत कुमार की रिपोर्ट
पटना:जी है ऐसा ही मामला पटना के गायघाट पुल के नीचे ट्राफीक पोस्ट का मामला है।
वर्षों से एक ही जगह पर जमे हैं पी टी सी सिपाही अजीत कुमार जोगी।
जगदूत न्यूज एजेन्सी,पटना। जिले के पुलिस महकमे में कई पुलिस कर्मी पिछले कई वर्षों से एक ही जगह जमे हुए हैं। इनमें पी टी सी सिपाही अजीत कुमार जोगी भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार ऐसा प्रत्रित होता है कि अजीत कुमार जोगी पी टी सी काफी दिनों से एक जगह पर पदस्थापित रहने का क्या कारण हो सकता है। कही अधिकारी की मिली भगत तो नही। जिसकी वजह से न सिर्फ कामकाज प्रभावित होता है बल्कि एक ही जगह पर कर्मियों के जमे रहने से भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है। यही कारण है कि सरकारीकर्मियों का जिला एवं राज्य स्तर पर तीन वर्षों पर स्थानांतरण का प्रविधान है। खासकर पुलिस पी टी सी सुपहि अजीत कुमार जोगी गायघाट पुल के नीचे ट्राफीक पोस्ट पर अपना दबदबा बना लिए है। ताकि उनको ना कोई बोलने वाला। पुलिस विभाग में कई कर्मी वर्षों से जमे हुए हैं। वर्ष 2017 से 2022 में स्थानांतरण हुआ था। जिसमें कई लोगों ने अपना स्थानांतरण रूकवा लिया था।
विभागीय सूत्रों की मानें तो पुलिस विभाग में कई ऐसे कर्मी हैं जो पटना आ जाने के बाद वे यहां से हटना नहीं चाहते हैं। जिस कारण यहां विभिन्न कार्यालयों में पदस्थापित कर्मी जमे हुए हैं। जिला मुख्यालय में रहने से उन्हें कई तरह के फायदे भी मिल जाते हैं।