*खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ में ईद उल अजहा की नमाज अदा कर के अमन-चैन की दुआ मांगी गई*
अलौली ,खगड़िया (अमित कुमार).साहसी पंचायत के खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ में ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई ।नमाज को लेकर बच्चो में काफी उत्साह देखा गया नमाज़ी की इतनी बड़ी संख्या थी के खानकाह से लेकर मदरसा तक लोगो काफी भीड़ थी सुबह 6 बजे ही से लोग खानकाह के मैदान में जमा होना शुरू हो गए थे ,
सुबह 7 बजे जमात खड़ी हो गई थी।नमाज खानकाह फरीदिया के *सज्जादा नशीन हजरत बाबू मुहम्मद सईदैन फरीदी* पढ़ाई और लोगो को अपनी तकरीर में समझाया के जानवरों की कुर्बानी देने के पीछे एक मकसद है. अल्लाह दिलों के हाल से वाकिफ है. ऐसे में अल्लाह हर शख्स की नीयत को समझता है. जब बंदा अल्लाह का हुक्म मानकर महज अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करता है तो उसे अल्लाह की रजा हासिल होती है. बावजूद इसके अगर कोई शख्स कुर्बानी महज दिखावे के तौर पर करता है तो अल्लाह उसकी कुर्बानी कुबूल नहीं करता.आगे उन्होंने कहा कि अल्लाह ने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने का आदेश दिया. हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को 80 साल की उम्र में औलाद नसीब हुर्ई थी. ऐसे में उनके लिए सबसे प्यारे उनके बेटे हजरत ईस्माइल अलैहिस्सलाम थे. ये इब्राहिम अलैहिस्सलाम के लिए एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरफ अल्लाह का हुक्म था तो दूसरी तरफ बेटे की मुहब्बत. ऐसे में उन्होंने अल्लाह के हुक्म को चुना और बेटे को अल्लाह की रजा के लिए कुर्बान करने को राजी हो गए,ऐसे में हजरत इब्राहिम को लगा कि बेटे को कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं कहीं आड़े ना आ जाए. इसीलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने जब बेटे ईस्माइल अलैहिस्सलाम की गर्दन काटने के लिए छुरी चलाई तो अल्लाह के हुक्म से ईस्माइल अलैहिस्सलाम की जगह एक दुंबा(एक जानवर) को पेश कर दिया गया. इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने जब आंख से पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिंदा खड़ा पाया. अल्लाह को ये अदा इतनी पसंद आई कि हर साहिबे हैसियत पर कुर्बानी करना वाजिब कर दिया. वाजिब का मुकाम फर्ज से ठीक नीचे है. अगर साहिबे हैसियत होते हुए भी किसी शख्स ने कुर्बानी नहीं दी तो वह गुनाहगार है. ऐसे में जरूरी है कि कुर्बानी करे, महंगे और सस्ते जानवरों से इसका कोई संबंध नहीं है,
आखिर में पूरी दुनिया के लिए अमन और शांति के लिए दुआ की गई,
*बुराइयों की भी कुर्बानी देने का मौका*
*बाबू मुहम्मद सिबतैन फरीदी* ने कहा कि जानवर की कुर्बानी देने के साथ ही इंसानों को अपने अहंकार, नफरत, गुस्सा, अनंत इच्छा, दुश्मनी की भी कुर्बानी देकर इंसान और इंसानियत के लिए जीने का संकल्प लेना चाहिए,
इस दिन अहद करना चाहिए कि हम इंसानियत और आपसी भाईचारा और हमे अल्लाह के रास्ते पर चलना चाहिए।
*लोगों ने एक-दूसरे के गले मिलकर दी ईद की बधाई*
लोगों ने एक-दूसरे के गले लगकर मुबारकबाद देकर सेविइयों का आनंद लिया।
विधि व्यवस्था को लेकर अलौली थाना पुलिस पदाधिकारी व दंडाधिकारी पूरी तरह से मुस्तैद दिखे ।