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Wednesday, November 29, 2023
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खगड़िया फरकिया के नाम से क्यों जाना जाता है-ऋषि सिंह पटेल

नेटवर्क डेक्स(अमित कुमार):अपनी तरक्की की कई गाथाओं को समेटे खगड़िया जिला मंगलवार स्थापना का 41 साल पूरा करने जा है रही । वर्ष 1981 में 10 मई को मुंगेर जिला से अलग होकर खगड़िया जिला के रूप में अस्तित्व में आया था। बहुत जल्दी ही अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब रहा कृषि के क्षेत्र भारत में ही नहीं विश्वापटल पर अपनी कीर्तिमान स्थापित किया इतिहास के आइने में देखें तो खगड़िया का स्वर्णिम अतीत रहा है। खगड़िया फरकिया के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि मुगल शासक अकबर ने अपने मंत्री टोडरमल को इस क्षेत्र की जमीन पैमाईश की जिम्मेदारी सौंपी थी। पर, वे जमीन की पूरी पैमाईश नहीं कर सके। कारण यह क्षेत्र कठिन मैदानों, नदियों व सघन जंगलों से घिरी हुई थी। यही वजह है कि फरकिया नाम दिया गया।खगड़िया जिला बनने से पहले मुंगेर जिला के अंतर्गत अनुमंडल रहा था। जिसका मुख्यालय खगड़िया था। वर्ष 1943-44 में खगड़िया अनुमंडल बना था। बिहार सरकार की 30 अप्रैल 1981 की अधिसूचना द्वारा 10 मई 1981 को तत्काल प्रभाव से जिला के रूप में प्रोन्नत किया गया था। क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से जिला 10863 वर्ग किमी है। खगड़िया दो अनुमंडल के साथ सात प्रखंडों का जिला है। यहां 129 पंचायतों में 306 गांव बसती हैं।
सात नदियों से घिरे खगड़िया अपने अंदर कई धरोहरों को समेटे है जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर पर स्थित कात्यायनी मंदिर शक्तिपीठ जिले को धार्मिक रूप से भी पहचान है। परबत्ता प्रखंड के भरतखंड में 52 कोठरी 53 द्वार जिले की धरोहर है। सात नदियों के बीच खगड़िया मक्का उत्पादन में एशिया में अव्वल दर्जा स्थापित की है। साथ ही दूध, दही, केला, मछली उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। दूसरे प्रदेशों में यहां के उत्पाद की महक है। खगड़िया का गोशाला मेला का प्रदेश स्तर पर पहचान है। जिले कोशी कॉलेज: खगड़िया की शैक्षणिक व राजनीतिक फलक पर भी धाक रही है। आठ जनवरी 1947 में स्थापित कोशी कॉलेज जिले के कैंब्रिज के रूप में चर्चित है। आजादी की यादें को भी कॉलेज अपने में समेटे जिले को शिक्षा के क्षेत्र में अलग दर्जा दिलाया। राजनीतिक रूप से भी खगड़िया आगे है। अलौली प्रखंड के शहरबन्नी गांव से निकलकर रामविलास पासवान केन्द्रीय मंत्री तक का सफर किया। उनके अन्य दो भाई भी देश की राजनीति में पहचान बनाए हुए हंै। वही उनके पुत्रों को भी सांसद बनने का गौरव है। खगड़िया की के लाल सतीश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री पद को भी सुशोभित किया।
खेल व कला में भी दिखाई कमाल: खगड़िया की धरती प्रतिभाओं की रही। कला में छैला बिहारी देश से लेकर विदेश तक खगड़िया का मान बढ़ाया है।
जिले की भौगोलिक बात करे तो सहरसा, भागलपुर, बेगूसराय, समस्तीपुर, मधेपुरा, मुंगेर जिला की सीमा लगती है। खगड़िया की धरती से पवित्र गंगा नदी भी गुजरती है। इसके अलावा छह अन्य नदियों से घिरे खगड़िया जिला कई मायनों में समृद्धशाली है।
ऋषि सिंह पटेल
सहसी (अलौली)

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