कबीर साहेब दो सम्प्रदायों के बीच सेतु बनकर आये थे-राकेश पासवान शास्त्री

*कबीर साहेब दो सम्प्रदायों के बीच सेतु बनकर आये थे :राकेश पासवान शास्त्री*

*संत सम्राट कबीरदास जी की जयंती समारोह मनायी गई*
पत्रकार नगर,खगड़िया, (पी के ठाकुर).4 जून 2022
सदर प्रखण्ड के रहीमपुर नन्हकू मंडल टोला स्थित वार्ड संख्या दस में ज्येष्ठ पूर्णिमा (मंगलवार) को संत सम्राट सद्गुरु कबीर साहब की जयंती समारोह समाजसेवी आचार्य राकेश पासवान शास्त्री की अध्यक्षता में हर्षोल्लास के साथ मनायी गई।मौके पर उपस्थित संत – महात्माओं एवं कबीर के अनुयायियों के द्वारा उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया।सद्गुरु स्तुति एवं वन्दना प्रस्तुति के साथ समारोह का शुभारंभ किया गया।तत्पश्चात लखीसराय जिला के रामवालक साहेब ने कबीर और उनके उद्देश्य पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए कहा कि कबीर साहब का सम्पूर्ण जीवन समाज कल्याण एवं समाज हित के लिए अनुकरणीय है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य राकेश पासवान शास्त्री ने कबीर साहब को कर्म प्रधान कवि बतलाते हुए कहा कि इन्होंने मध्यकालीन भारत के विभिन्न कुरीतियों से ग्रसित तत्कालीन समाज में जात-पात,धर्मांधता, ऊंच-नीच ,अंधविश्वास, रूढ़ीवाद व पाखण्डप्रस्त शक्तियों का निर्भिकता के साथ जबरदस्त कुठाराघात हमला किया था।सही मायने में वे महान समाज सुधारक थे।सशक्त और विकसित भारत के लिए अलगाववादी एवं साम्प्रदायिक विचारों को त्याग कर संत सम्राट शिरोमणि कबीरदास जी के ढ़ाई आखर प्रेम को अपनाने की जरूरत है।
श्री शास्त्री ने कहा कि कुछ तथाकथित समाज तोड़क लोग आज आनाप शनाप बयान देकर दो समुदायों के बीच अशांति फैलाने का दुःसाहष कर रहे हैं।वैसे लोगों को एक बार कबीर साहब के “संत ना छाड़ै संतई, जो कोटिक मिले असंत।चन्दन भुवंगा बैठिया तऊ शीतलता न तजंत।।” जैसे पवित्र दोहों के अर्थ पर गौर फरमाना चाहिए।क्योंकि कबीर साहब के काव्य रचना और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं।कबीर साहेब दो सम्प्रदायों के बीच सेतु बनकर आये थे।वे हर जात और धर्म के लोगों को एक मानव समाज की दृष्टि से देखते थे । इसलिए हम और हमारे देश के सभी नागरिकों को कबीर साहब के आपसी प्रेम,मेलजोल व भाईचारे जैसे पवित्र सम्प्रेषण को अपने जीवन में ढ़ालने की जरूरत है।
इस अवसर पर संत कार्तिक साहेब,पांचू साहेब,राम लगन साहेब,बौधू साहेब,हीरालाल साहेब,राजकुमारी दासीन, काला देवी, सुमित्रा दासीन आदि सैकडों की संख्या में साधु – संत – महात्मन एवं कबीर के अनुयायी उपस्थित थे।आयोजन में संत कार्तिक साहेब, सुशीला देवी,सेवा निवृत्त अंचल के वरीय लीपिक रामदेव पासवान,ग्रामीण आवास सहायक सुनील कुमार पासवान, राकेश सिंह कुशवाहा,अनिकेत कुमार गाँधी,हरिवंश कुमार,बुलबुल देवी व सूर्यवंश का सराहनीय योगदान रहा है।

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