ऑल रिपोर्टर्स यूनियन ऑफ ने हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

नेटवर्क डेस्क(पी के ठाकुर): ऑल रिपोर्टर यूनियन ऑफ नेशन के तत्वावधान में एक दिवसीय पत्रकारिता दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया बैठक की अध्यक्षता ऑल रिपोर्टर्स यूनियन ऑफ नेशन के पीके ठाकूर ने की।संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ऑल रिपोर्टर यूनियन ऑफ नेशन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा ने कहा पत्रकारिता राष्ट्र निर्माण का “चौथा स्तंभ” है।बोले, आज टीवी समाचार चैनलों के 24 घंटों के प्रसारण, सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर)के होते हुए भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है।कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा बेशक आज पत्रकारिता के कई रूप हैं, हर भाषा में हैं। किंतु हिंदी पत्रकारिता अपनी व्यापकता, पहुंच में बहुत आगे है।वहीं रितेश राज वर्मा ने कहा हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत 30 मई 1826 को पं.जुगल किशोर शुक्ल द्वारा बंगाल में की गई थी। पत्र का नाम था ‘उदंत मार्तंड ‘। आर्थिक कठिनाइयों और बंगाल में हिंदी का प्रचलन नहीं होने के कारण लगभग डेढ़ वर्ष में ही यह बंद हो गया। लेकिन इसने हिंदी पत्रकारिता के सूर्य को उदित कर दिया था जो आज भी देदीप्यमान है। वही अजय कुमार वर्मा ने कहा,हिंदी क्षेत्र उत्तर प्रदेश से प्रकाशित होने वाला पहला साप्ताहिक हिंदी पत्र ‘बनारस अखबार ‘(1845) था जिसके संपादक थे गोविंद नाथ थंते।युवा पत्रकार रवि राज वर्मा ने कहा हिंदी पत्रकारिता के विकासक्रम में कुछ पत्रकार प्रकाशस्तंभ बने जिन्होंने अपने समय में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अनेक समाचार पत्र ने आजादी की अलख को जगाए रखने का प्रयास किया।जबकि अनिल कुमार वर्मा ने कहा,हिंदी साहित्य से जुड़े व्यक्तियों का भी हिंदी पत्रकारिता के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। पंकज गुप्ता ने कहा,हिंदी पत्रकारिता को समृद्ध, उन्नत व बहुमुखी बनाने में भारतेन्दु का योगदान अद्वितीय है।वरिष्ठ पत्रकार डॉ० अरविन्द कुमार वर्मा ने कहा,भारतीय नवजागरण के अग्रदूत भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र ने हिंदी पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का अंकुरण किया।मृत्युजंय कुमार ने कहा,भारतेंदु मंडल के वरेण्य पत्रकारों ने अपनी समर्पित सेवा-भावना के बल पर जन-चेतना को प्रस्फुटित किया।दीपक कुमार ने कहा, कविवचन सुधा (1867), अल्मोड़ा अखबार (1871), हिंदी दीप्ति प्रकाश (1872), बिहार बंधु (1872), सदादर्श (1874), हिंदी प्रदीप (1877), भारत मिश्र (1878), सारसुधानिधि (1879), उचितवक्ता (1880), ब्राह्मण (1883) इस काल के प्रमुख पत्र हैं।प्रभुजी,कौशल कुमार ने कहा, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का आगाज़ भले ही 1857 के विद्रोह से हुआ हो पर इस के बीज़ अलग अलग पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से 19वीं सदी के पूर्वार्ध से ही डल गए थे। महिला पत्रकार इन्दू प्रभा प्रभा,रीना देवी,किरन देवी ने कहा, समाज को जागृत करके एवं स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करने में हिन्दी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा।मौके पर पत्रकार निरंजन सिंह,अमित कुमार,राहुल कुमार,राजा,बंटी कुमार,नवी आलम,सनोवर खां सहित दर्जनों पत्रकारों ने अपने अपने विचार ब्यक्त किए।धन्यवाद ज्ञापन सुरेश नायक ने की।

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