उप विकास आयुक्त द्वारा तेलिहाड़ पंचायत में डस्टबिन का वितरण, घरेलू कचरा के उठाव हेतु ई-रिक्शा को हरी झंडी दिखाकर संचालन शुरु, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत किए गए ये कार्य

खगड़िया सदर : उप विकास आयुक्त श्रीमती अभिलाषा शर्मा द्वारा लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान द्वितीय चरण (2020-21 से 2024-25) के तहत ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के ग्रामीण क्षेत्रों एवं पंचायतों में क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए तेलिहाड़ पंचायत में गीला कचरा एवं सूखा कचरा के लिए दो अलग-अलग रंगों के डस्टबिन का वितरण ग्रामीणों के बीच किया गया। जैविक एवं अजैविक कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में रखने का निर्देश लाभुकों को दिया गया।

ओडीएफ प्लस अंतर्गत 35 पंचायत को चिन्हित करते हुए कार्य योजना बनाया गया है। जिन पंचायतों द्वारा कार्य योजना प्रस्ताव को ग्राम सभा से पारित कराकर भेजा जा चुका है, जिन्हें इस कार्य हेतु राशि को हस्तांतरित किया गया है, उनमें बेलदौर के तेलिहाड़ पंचायत शामिल है।

ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तहत चयनित प्रत्येक पंचायत में ई-रिक्शा का संचालन कचरा को अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई तक पहुंचाने के लिए किया जाएगा। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के फंड से ई-रिक्शा खरीद कर चालक को चाबी उप विकास आयुक्त के हाथों सौंपी गई। साइकिल रिक्शा भी पंचायत के प्रत्येक वार्ड से कचरा को एकत्रित करने के लिए योजना के तहत तय किया गया है। उन्होंने बताया कि कचरा के निस्तारण हेतु जिले के प्रत्येक चयनित पंचायत में साइकिल रिक्शा भी खरीदा जाएगा, जो हर वार्ड में घर घर जाकर कचरा इकट्ठा करेगा।

ग्राम स्तरीय अपशिष्ट प्रबंधन प्रसंस्करण इकाई भी एसडब्ल्यूएम के तहत स्थापित करना है जैविक अपशिष्ट को जैविक खाद में परिवर्तित करना है, जबकि अजैविक अपशिष्ट को अलग-अलग प्रबंधित करते हुए अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई द्वारा पुरस्कृत करना है। स्वच्छता कर्मियों हेतु आवश्यक उपकरणों की खरीद भी योजना के तहत की जानी है।

उप विकास आयुक्त द्वारा बताया गया कि द्वितीय चरण में ओडीएफ प्लस का उद्देश्य ग्राम पंचायतों द्वारा खुले में शौच से मुक्ति का स्थायित्व सुनिश्चित करने हेतु सूचना, संचार एवं शिक्षा (ICE) संबंधी गतिविधियों के माध्यम से समुदायों का व्यवहार परिवर्तन, चिन्हित नये परिवारों या छूटे हुए परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय की सुलभता तथा चरणबद्ध तरीके से ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन करना है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत घरेलू अपशिष्ट मवेशियों तथा कृषि जनित बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, इत्यादि का समुचित प्रबंधन शामिल है। तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत व्यक्तिगत शौचालय, सामुदायिक स्वच्छता परिसर, ठोस कचरा प्रबंधन की परिसंपत्तियों की रिट्रोफिटिंग द्वारा निरंतर स्वच्छता बनाए रखने हेतु उत्प्रेरण, ग्रामीण क्षेत्रों को प्रत्यक्ष रूप से स्वच्छ बनाया जाना, सभी ग्राम पंचायतों को वर्ष 2024-25 तक ओडीएफ प्लस बनाया जाना तथा स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना है।

उप विकास आयुक्त ने बताया कि सभी घरों में सूखे कचरे एवं गीले कचरे के लिए अलग-अलग डस्टबिन दिया जा रहा है। पंचायतों में सार्वजनिक स्थलों पर भी डस्टबिन रखे जाएंगे। पंचायत में कहीं भी कचरा ना दिखे और पंचायत साफ स्वच्छ और सुंदर दिखे इसके लिए सभी ग्रामीणों का सहयोग आवश्यक है। सब के सहयोग से पंचायत को मॉडल ग्राम पंचायत के रूप में विकसित किया जाएगा।

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