आर्टिफिशल इंटेलीजेंस तकनीक से बढ़ेगा कारोबार और रोजगार
लोकेश झा
समालखा। कोरोना के कारण पूरी दुनिया पर असर पड़ा है। लॉकडाउन लगने लगा तो एकाएक काम करने के तरीके बदलने लगे। डिजिटलकरण होने लगा। कारोबार को चलाने के लिए जिस तरह की स्किल की जरूरत पड़ने लगी, उसकी तुलना में लोग इतने सक्षम नहीं है। यही वजह है कि बाजार में नौकरियां तो हैं लेकिन योग्य युवा नहीं है। इसी तरह से और भी अनेक दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी का समाधान यही है कि आर्टिफिशल इंटेलीजेंस यानी एआइ तकनीक पर तेजी से काम करना होगा। सभी को उतनी ही तेजी से सक्षम भी बनाना होगा। कारोबार और रोजगार ही नहीं, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषय के लिए भी एआइ आवश्यक है। इंसान की उम्र बढ़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में यह विश्लेषण निकलकर सामने आया है। व्यापार प्रबंधन और अर्थव्यवस्था पर पानीपत इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी एंड इंजीनियरिंग (पाइट) के डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने वर्चुअल कान्फ्रेंस कराई। दो सौ से ज्यादा रिसर्च पेपर पहुंचे, जिनमें से 120 का चयन किया गया। पाइट के वाइस चेयरमैन राकेश तायल और मेंबर बीओजी शुभम तायल सभी रिसर्चर का हौसला बढ़ाया। कनाडा के स्कूल ऑफ बिजनेस के डीन मुथाना जोरी, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर की वाइस चांसलर प्रो.सुदेश छिक्कारा, गुरुग्राम से कंपलीनिटी टेक्नॉलोजी के सीईओ सुमित पाहवा और मेलबर्न से ग्लोबल एसोसिएशन डायरेक्टर प्राची मेहंदीरत्ता मुख्य वक्ता रहीं। डीन मुथाना जोरी ने अस्पताल प्रबंधन पर रिसर्च प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन और मरीजों की छोटी-छोटी असावधानी या कमी इंसान की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। अस्पतालों को चाहिए कि वे मरीजों का पूरा डाटा बनाकर रखें। उनका विश्लेषण करते रहें। एआइ के माध्यम से वे मरीजों की समय पर मदद कर सकते हैं। उनकी जान बचा सकते हैं। मरीज को जरूरत नहीं है कि वो हर बार चेकअप के लिए लाइन में लगे। कागज लेकर घूमता रहे। निदेशक प्रो.(डॉ.) शक्ति कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोजन से दुनियाभर में क्या बदलाव आ रहा है, इसका पता चलता है।