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Sunday, September 8, 2024
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आंगनबाड़ी केंद्रों का सही से हो संचालन वर्ना होगा उग्र आंदोलन : जयप्रकाश यादव

परबत्ता (हरिशेखर यादव): प्रखंड सहित जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की स्तिथि इतनी बदतर है कि अधिकांशतः आंगनबाड़ी केंद्र खुलता ही नहीं है और स्थानीय सीडीपीओ और एलएस जांच करने के नाम पर कभी केंद्रों पर जाता ही नहीं है सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति करने का काम किया जाता है.
जब कभी भी किसी प्रकार का जांच करना होता है तो गांव के अंदर पंचायतों के अंदर किसी जनप्रतिनिधि या राजनीतिक सामाजिक लोगों से सीडीपीओ और एलएस नजर नहीं मिलाते हैं बात तक नहीं करते हैं जनप्रतिनिधि अभी उनसे कार्यालय में भी मिलने का समय मांगते हैं उससे भी कन्नी काटते रहते हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों पर सिर्फ गरीबों के बच्चे का नामांकन होता है. जिनको यदा-कदा ही कहीं कुछ यदि मिल पाता है वही बहुत है ना तो कहीं मीनू की तालिका है ना मीनू के हिसाब से अपने पोषक क्षेत्रों में कुछ बातें हैं सिर्फ कागज पर इसकी खानापूर्ति होती है. सबसे ज्यादा हक मारी आंगनबाड़ी केंद्रों पर गरीब के बच्चों के मुंह का निवाला सिर्फ और सिर्फ आईसीडीएस कार्यालय के पदाधिकारियों की थैली भरने वाली विभाग हो गई है. अभी कोई व्यक्ति किसी का लिखित शिकायत भी करता है इस विभाग से जुड़े पदाधिकारी लीपापोती कर के उस फाइल को वही के वही दबा दिए जाते हैं और मोटी रकम की उगाही कर परिणाम को ढाक के तीन पात में बदल दिया जाता है. समय रहते अभी इस विभाग में सुधार नहीं होता है आने वाले दिनों में आईसीडीएस के बड़े पदाधिकारियों के खिलाफ आंदोलन करने की आवश्यकता हो सकती है. सीडीपीओ के कार्यालय में बार-बार कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप आए दिन मीडिया में लगते रहे. आंगनवाड़ी केंद्र आईसीडीएस विभाग जिले के अंदर भ्रष्टाचार का पोषक क्षेत्र बन के रह गया है. पिछले दिनों खगड़िया जिला का चर्चित रहा वस्त्र घोटाला जहां बच्चों को वस्त्र दी जाती है बगैर वस्त्र दिए ही सारी राशि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से निकाल दिया गया बावजूद जिस कर्मी पर यह आरोप लगा वह कर्मी आज भी विभाग की कुर्सी पर बैठकर मजे ले रहा है वही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की शिथिलता के चलते शिक्षा विभाग में अनुकंपा पर होने वाली बहाली बरसों से पड़ा हुआ है. नौकरी की तलाश में अनुकंपा पर आधारित उत्तराधिकारी विभिन्न बाबुओं का दरवाजा खटखटाते थक रहे हैं उसे न्याय नहीं दिया जा रहा है. आखिर इसमें दोष किसका है? कितनी रिक्तियां हैं? कितने को बहाल होना है? इसे स्पष्ट रूप में अविलंब सक्षम अभ्यर्थी को योगदान करवाया जाए.

वही जयप्रकाश यादव ने एमडीएम प्रभारी से बात करते हुए आरोप लगाया है स्कूलों में बच्चों की अधिक उपस्थिति दिखाकर बच्चों का एमडीएम का खाना की राशि को कटौती कर अपनी थाली भर रहे हैं. एमडीएम प्रभारी को इन बातों का और विलंब जांच कर दोषी प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है. जिले के अंदर कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जिनको शिक्षक अपना सेफ जोन समझता है. कई विद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है इसको अविलंब दूर करने का आग्रह पदाधिकारियों से की गई है. जहां शिक्षक स्थानीय पदाधिकारियों के मेल में आकर कर्तव्य से भागते हैं ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर उन्हें सावधान करने की भी आवश्यकता बताई गई है.

वहीं बिजली विभाग के कर्मियों का उपभोक्ता के ऊपर गलत बिल देकर मोटी उगाही करने की बात स्पष्ट रूप से सामने आई है खास करके इस विभाग में जो फ्रेंचाइजी विभाग द्वारा बहाल है उपभोक्ताओं से वह लगातार अवैध उगाही कर रहे हैं. कंप्यूटराइज बिल में अंकित राशि को ज्यादा दिखा कर उपभोक्ता से मोटी राशि की उगाही की जा रही है. उपभोक्ता जिला अनुमंडल और जेई के कार्यालय तक दौड़ते-दौड़ते थक रहे बिजली विभाग से जुड़े कर्मी साधारण जनता की बात तो दूर जनप्रतिनिधियों का भी फोन उठाना मुनासिब नहीं समझते और उपभोक्ता द्वारा दिए गए आवेदन की जांच वरीय पदाधिकारियों को करना होता है. वह आवेदन बढ़िया पदाधिकारी तक पहुंचने के बाद भी वह आवेदन लौटकर स्थानीय फ्रेंचाइजी के हाथ में पहुंच जाती है. कहावत है कि यदि बिल्ली के हाथ में दही की रखवाली दे दी जाए तो दही कहीं से भी सुरक्षित रह नहीं सकता. आए दिन बिजली विभाग के कर्मियों को बंद पड़े ट्रांसफार्मर जर्जर बिजली के तार और फ्रेंचाइजी के आतंक अवैध उगाही के बाद में जो है उसे दूर करने की नसीहत दी गई.

वही श्री यादव ने खगड़िया के चिकित्सा पदाधिकारी के कार्यों से नाराजगी जताते हुए अविलंब जिला चिकित्सा पदाधिकारी को इस जिला से हटाने की मांग की उन्होंने चिकित्सा पदाधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने विभाग से जुड़े एक भी सवाल का जवाब देने की हुनर जिला चिकित्सा पदाधिकारी में नहीं है हर एक सवाल का जवाब होता है ठीक है हम देखेंगे, पुनः ठीक है हम देखेंगे पुनः ठीक है हम देखेंगे यही उनका डायलॉग है हर चीज में वह पदाधिकारी कहते हैं ठीक है हम देखेंगे इस तरह के शिथिल शांत पदाधिकारी से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और जोड़ों का बीमार पड़ गया है. कहीं डॉक्टर है कंपाउंडर नहीं,कहीं कंपाउंडर है, डर से नहीं जिले के अंदर अधिकांश अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र खुलता नहीं खुलता ही नहीं है. चिकित्सालय की जमीन को स्थानीय लोगों द्वारा अधिक्रमित कर ली गई है. विभाग के जुड़े कर्मी को इस बात की जानकारी ही नहीं है प्रखंडों के अंदर जिले में संबंधित पंचायत किस प्रखंड से है इसका भी ज्ञान जिला चिकित्सा पदाधिकारी को नहीं है. इसलिए जनता की बीमारी भगाने से पहले बीमार चिकित्सा पदाधिकारी को अभिलंब हटाने की मांग की गई. ध्वनि मत से तमाम पार्षद सदस्यों ने चिकित्सा पदाधिकारी को हटाने की मांग की.

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