*अतिक्रमण की भेंट चढ़ रही है :- कासावती नदी*
नीमकाथाना /मनोज कुमार मीणा/ रामायण काल की कासावती नदी वर्तमान में अतिक्रमणकारियों के भेंट चढ़ती जा रही है। नदी की सैकड़ों एकड़ जमीन के लिए यह नदी वरदान साबित होती थी लेकिन अतिक्रमण के कारण यह नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। कभी 300-350 फीट चौड़ाई में बहने वाली नदी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ते -सिकुड़ते महज 60-70 फीट ही रह गयी है। यदि इसी तरह अतिक्रमण जारी रहा तो
*दो-चार वर्षों के बाद नदी सिर्फ मानचित्र के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगी*
आने वाली पीढ़ी मानचित्र के सहारे ही जान पाएंगे कि नीमकाथाना मैं रामायण काल की कासावती नदी बहती थी, जिसके तटों पर अधिकारियों की सांठगांठ से कब्जा कर कर जमीनों को किया कन्वर्जन
अतिक्रमण के कारण कासावती नदी का अस्तित्व समाप्त होने पर भराला मोड से रायपुर तक गांव के सैकड़ों हेक्टेयर उपजाऊ जमीन सिचाई के अभाव में बंजर हो जाएगी। समाजसेवी कैलाश मीणा ने बताया कि नदी किनारे नदी के पश्चिमी किनारे को धीरे-धीरे भराई कर पहले उसे अपने कब्जे में लेकर बागबानी का कार्य आरंभ किया, बाद में मकान बनाने लगे। ग्रामीण एवं प्रशासन द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर वर्तमान में नदी में सैकड़ों घर बन गये है तथा दर्जनों एकड़ जमीन पर अवैध कॉलोनियों कटने लग गई है । बरसात के दिनों में 60-70 फीट में पानी बहने से पानी की धारा काफी तीव्र रहने से सिचाई के लिए लगाये गये बांध पानी के तेज बहाव में बह जाते हैं।
*उच्च न्यायालय के आदेश की हो रही अवहेलना*
उच्च न्यायालय ने नदी , नाला , आहर, एवं अन्य जल स्त्रोत का अतिक्रमण को मुक्त कराने का निर्देश दिये थे। लेकिन नीमकाथाना के अधिकारियों ने उन निर्देशों को ठंडे बस्ते में डाल दिये है ।
*कहते हैं अधिकारी*
कासावती नदी में हुए अतिक्रमण की जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट आने पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया जाएगा। अतिक्रमण हटाने का विरोध करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।